Wednesday, February 27, 2013

दुनिया मैं कितने सारे गम है ...


दुनिया मैं कितने सारे गम है 
जब देखा तब लगा 
मेरा गम कितना कम है 
एहसास हुआ की कितना खुस्नाशिब हूँ मैं 
थोड़ी कमी है, मगर जी रहा हूँ मैं 
बहुत लोग हर रोज़ मरते हैं जीने केलिए 
और मैं जीता था कभी न कभी मरने केलिए 
एक मुस्कराहट जो उन लोगों के पास है 
वही पान ही मेरी आस है
लेकिन अब जब मैं समझा हूँ दर्द का मतलब 
तो उन लोगों केलिए थोडा बहुत तो करना है 
सोच रखा की अब तो उन्ही के साथ जीना 
और उन्ही के साथ मरना है…

महाप्रसाद मिश्रा 


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