जहां पर भी गया
लोगों का आदर मिला ...
कुच्छ तिरस्कार भी मिला
लेकिन कभी भी समय ने
मुंह नहीं मोड़ा
हाँ, कुच्छ पल ऐसे आये
जहां पर अकेले होने का आघाज़ मिला
लेकिन फिर एक नयी
सुबहा आई जिसने फिर वो मुस्कुराहट वापस लायी
समय के संग फिर उमर और
जीवन आगे बढ़ने लगे...
फिर नयी कहानी बनी और
ये सिलसिला आगे बढ़ता गया !!!
महाप्रसाद मिश्रा
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