Monday, October 28, 2013

जब अकेला होता हूँ

जब अकेला होता हूँ
तो बहुत बोलता हूँ 
लेकिन कोई सामने होता है 
तो थोड़ा सोचता हूँ
की जो मैं कह रहा हूँ
क्‍या वो सही है
या फिर, जिससे मैं केहना चाहता था 
क्या वो यही है।
अगर दिल से आवाज़ आया 
तो बात आगे बढ़ी
नहीं तो हमारी बातें सुन के गाली जोर से पड़ी।

सब ने दिया उपदेश, सब ने दिया चिंतन
लेकिन कुच्छ होना था
कुच्छ और ही हो गया
क्यों के वो मेरे दिल ने किया मनन।

अब तो ज़िंदगी ऐसी है
मा की आशीर्वाद से ऐसी ही रहे
कुच्छ भी हो
उसकी बरदान से यूहीं मुस्कुराहट बनी रहे
मेरी बातों को ज्यादा एहमियत ना देते हुये
सब खुश और सलामत रहे।

महाप्रसाद मिश्रा


Tuesday, October 22, 2013

हर रिस्ते मे कुछ फासलों का होना जरूरी है

हर रिस्ते मे कुछ फासलों का होना जरूरी है
क्यों के रिस्ते जीने केलिये रिस्तोंको सांस लेना भी जरूरी है
ये फासले दूरियां बढाने केलिए नहीं
ये तो रिस्तोंकी गेहराई समझ ने केलिये जरूरी है।

महप्रसाद मिश्रा 

Wednesday, October 16, 2013

समय तो चलता ही रहता है

समय तो चलता ही रहता है
हमेशा तो हम हिं पीछे रह जाते हैं
कभी हम यादों मे बह जाते हैं
तो कभी आने वाले वो अनदेखी खायालो मैं
आौर इसके बीच मे हम रह जाते हैं तो सिर्फ आज मे
पर समय तो चलता ही रहता है...

महाप्रसाद मिश्रा

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