Monday, October 27, 2014

छोड़ आये थे जो वो गलियाँ...

छोड़ आये थे जो वो गलियाँ
मूड कर देख रहे हैं आज जिसे
गलियाँ है तो वही ...
पर लोग है नये
ये तो समय का वो चक्र है...
जिस मे जाने नजाने कितने आये ओर कितने गये।

अब, वो पुराने लोगों से मिलने की आस है
मगर सोच रहा अब समय किस के पास है
वो कीमती वक़्त जो उनके साथ गुजर गया
वो तो अब  नहीं सकता ...
लेकिन जब मिलता हूँ दोस्तों से या करता हूँ बातें
अब सिर्फ वही पल खुसी है ओर वही पल खास है !!!

महाप्रसाद मिश्रा
(जीवन खूबसूरत है।)  

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