Wednesday, December 11, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

तज़ूर्बा केह्ता है की,

खुशी मैं खुस हो के खुशियाँ बांटना चाहिये

ता की जब दुखी हो, तो किसी का हाथ आंसू पोछने के लिये आना चाहिये...

एक मुस्कुराहट चेहरे पे हर हाल है बनी रेहनी चाहिये...

ता कि जब गम आये तो आप को देख के

पता गलत होने की सोच मैं लौट जाना चाहिये !!!

महाप्रसाद मिश्रा

Tuesday, December 3, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

जहां पर भी गया
लोगों का आदर मिला ... कुच्छ तिरस्कार भी मिला
लेकिन कभी भी समय ने मुंह नहीं मोड़ा
हाँ, कुच्छ पल ऐसे आये जहां पर अकेले होने का आघाज़ मिला
लेकिन फिर एक नयी सुबहा आई जिसने फिर वो मुस्कुराहट वापस लायी
समय के संग फिर उमर और जीवन आगे बढ़ने लगे...
फिर नयी कहानी बनी और ये सिलसिला आगे बढ़ता गया !!!

महाप्रसाद मिश्रा

Monday, December 2, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

हम अलग है... फिर भी पास हैं...
क्यों के वो लम्हे ज़िंदा हैं और वो यादें...
युहिं सजती रहे दोस्टन की मेहफिलें
और ज़िंदा राहें आगे मिलने की
वो कसमें और बादें !!!

महप्रसाद मिश्रा

Sunday, December 1, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

ए असकों की कीमत लगाने वाले पेहले दूसरों को खुशियाँ बाटना सीख 
हमेशा समंदर की पानी नहीं कभी बरसात की बूँदों को समेट ना सीख
ए अपनी खुसी मैं मसरूफ रेहनेवाले इंसान 
जो अपने हैं क़म से क़म उन्हे तो पास रखना सीख

महाप्रसाद मिश्रा

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