Saturday, November 9, 2013

एक गीत लिखने की कोसिश कर रहा हूँ मैं...

एक गीत लिखने की कोसिश कर रहा हूँ मैं
एक प्रयाश है य़ा एक उम्मीद है
की तुम तक पोहन्चे मेरी आबाज़
इसीलिये इस गीत को लिखने की कोसिश कर रहा हून मैं
और हर बार की तरह इसबार भी कुच्छ केहने की कोसिश कर रहा हून मैं

महाप्रसाद मिश्रा 

Monday, October 28, 2013

जब अकेला होता हूँ

जब अकेला होता हूँ
तो बहुत बोलता हूँ 
लेकिन कोई सामने होता है 
तो थोड़ा सोचता हूँ
की जो मैं कह रहा हूँ
क्‍या वो सही है
या फिर, जिससे मैं केहना चाहता था 
क्या वो यही है।
अगर दिल से आवाज़ आया 
तो बात आगे बढ़ी
नहीं तो हमारी बातें सुन के गाली जोर से पड़ी।

सब ने दिया उपदेश, सब ने दिया चिंतन
लेकिन कुच्छ होना था
कुच्छ और ही हो गया
क्यों के वो मेरे दिल ने किया मनन।

अब तो ज़िंदगी ऐसी है
मा की आशीर्वाद से ऐसी ही रहे
कुच्छ भी हो
उसकी बरदान से यूहीं मुस्कुराहट बनी रहे
मेरी बातों को ज्यादा एहमियत ना देते हुये
सब खुश और सलामत रहे।

महाप्रसाद मिश्रा


Tuesday, October 22, 2013

हर रिस्ते मे कुछ फासलों का होना जरूरी है

हर रिस्ते मे कुछ फासलों का होना जरूरी है
क्यों के रिस्ते जीने केलिये रिस्तोंको सांस लेना भी जरूरी है
ये फासले दूरियां बढाने केलिए नहीं
ये तो रिस्तोंकी गेहराई समझ ने केलिये जरूरी है।

महप्रसाद मिश्रा 

Wednesday, October 16, 2013

समय तो चलता ही रहता है

समय तो चलता ही रहता है
हमेशा तो हम हिं पीछे रह जाते हैं
कभी हम यादों मे बह जाते हैं
तो कभी आने वाले वो अनदेखी खायालो मैं
आौर इसके बीच मे हम रह जाते हैं तो सिर्फ आज मे
पर समय तो चलता ही रहता है...

महाप्रसाद मिश्रा

Monday, September 16, 2013

गुलाब कि एक नन्ही कलि को खिलता देख ....

गुलाब कि एक नन्ही कलि को खिलता देख
माली आज मुस्कुरा रहा है।
लेकिन कुछ लोग तो यही सोच मैं लगे है
के कब तोडू उसे ...
और ये माली उसके पास क्यों खड़ा है…

महाप्रसाद मिश्रा 

Thursday, July 4, 2013

तमशा भरा जीवन

तमशा भरा जीवन 
तमशा भरा पथ 
कुछ पाने की आशा 
और कुछ खोने का गम।
आज का य गहराता काले बादल 
और उसके पीछे वो नज़र आता धुन्दला किरण 
कुछ कह रहा है ...
मैं हूँ ... मैं हीं हूँ वो 
राधा का श्याम और सीता का राम 
हर वो आशा की किरण जैसा 
भक्त का भगबान।।।

महाप्रसाद मिश्र 

Wednesday, July 3, 2013

किसी को कोई बोल रहा है

        
किसी को कोई बोल रहा है 
की बारिश की वो बूंदे 
की ठंडी हवाओं का वो चलना 
की मिट्टी की वो महक 
किसी को बोल रहा है 
की मैं आज भी जिंदा हूँ 
तुझे मिलने के लिए 
अब घर आजा ... इंतज़ार भी मुस्किल होने लगा है 
य माँ बोल रही है की अब घर आभिजा क्यों के अब आँख से आंसू भी सूखने लगा है।।।

महाप्रसाद मिश्रा 
#LifeIsBeautiful

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