Wednesday, January 15, 2014

जब कदम थक ने लगे तो ये मत सोचना की अब पैरों मैं दम नहीं ... (कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...)

जब कदम थक ने लगे तो ये मत सोचना की अब पैरों मैं दम नहीं ...

जब कदम थक ने लगे तो ये मत सोचना की अब पैरों मैं दम नहीं ...

जरा आईने  मैं देखना ...

.... जरा आईने  मैं देखना ...

कहीं वो मन की इच्छा और अधुरे स्वप्न को पुरा करने वाला वो जोश कहीं कम तो नहीं

फिर एहसास होगा.....

....फिर एहसास होगा.....

की मंज़िल मेरा दुर इंतज़ार कर रही है...

मुझे आगे हर हाल बढना है .... थोडा समय भी लगे तो भी कोई गम नहीं .... !!!!!!


महप्रसाद मिश्रा 

Wednesday, December 11, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

तज़ूर्बा केह्ता है की,

खुशी मैं खुस हो के खुशियाँ बांटना चाहिये

ता की जब दुखी हो, तो किसी का हाथ आंसू पोछने के लिये आना चाहिये...

एक मुस्कुराहट चेहरे पे हर हाल है बनी रेहनी चाहिये...

ता कि जब गम आये तो आप को देख के

पता गलत होने की सोच मैं लौट जाना चाहिये !!!

महाप्रसाद मिश्रा

Tuesday, December 3, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

जहां पर भी गया
लोगों का आदर मिला ... कुच्छ तिरस्कार भी मिला
लेकिन कभी भी समय ने मुंह नहीं मोड़ा
हाँ, कुच्छ पल ऐसे आये जहां पर अकेले होने का आघाज़ मिला
लेकिन फिर एक नयी सुबहा आई जिसने फिर वो मुस्कुराहट वापस लायी
समय के संग फिर उमर और जीवन आगे बढ़ने लगे...
फिर नयी कहानी बनी और ये सिलसिला आगे बढ़ता गया !!!

महाप्रसाद मिश्रा

Monday, December 2, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

हम अलग है... फिर भी पास हैं...
क्यों के वो लम्हे ज़िंदा हैं और वो यादें...
युहिं सजती रहे दोस्टन की मेहफिलें
और ज़िंदा राहें आगे मिलने की
वो कसमें और बादें !!!

महप्रसाद मिश्रा

Sunday, December 1, 2013

कुच्छ वो बातें मेरे कलम से ...

ए असकों की कीमत लगाने वाले पेहले दूसरों को खुशियाँ बाटना सीख 
हमेशा समंदर की पानी नहीं कभी बरसात की बूँदों को समेट ना सीख
ए अपनी खुसी मैं मसरूफ रेहनेवाले इंसान 
जो अपने हैं क़म से क़म उन्हे तो पास रखना सीख

महाप्रसाद मिश्रा

Saturday, November 9, 2013

एक गीत लिखने की कोसिश कर रहा हूँ मैं...

एक गीत लिखने की कोसिश कर रहा हूँ मैं
एक प्रयाश है य़ा एक उम्मीद है
की तुम तक पोहन्चे मेरी आबाज़
इसीलिये इस गीत को लिखने की कोसिश कर रहा हून मैं
और हर बार की तरह इसबार भी कुच्छ केहने की कोसिश कर रहा हून मैं

महाप्रसाद मिश्रा 

Monday, October 28, 2013

जब अकेला होता हूँ

जब अकेला होता हूँ
तो बहुत बोलता हूँ 
लेकिन कोई सामने होता है 
तो थोड़ा सोचता हूँ
की जो मैं कह रहा हूँ
क्‍या वो सही है
या फिर, जिससे मैं केहना चाहता था 
क्या वो यही है।
अगर दिल से आवाज़ आया 
तो बात आगे बढ़ी
नहीं तो हमारी बातें सुन के गाली जोर से पड़ी।

सब ने दिया उपदेश, सब ने दिया चिंतन
लेकिन कुच्छ होना था
कुच्छ और ही हो गया
क्यों के वो मेरे दिल ने किया मनन।

अब तो ज़िंदगी ऐसी है
मा की आशीर्वाद से ऐसी ही रहे
कुच्छ भी हो
उसकी बरदान से यूहीं मुस्कुराहट बनी रहे
मेरी बातों को ज्यादा एहमियत ना देते हुये
सब खुश और सलामत रहे।

महाप्रसाद मिश्रा


New Blog Page Created (https://immahaprasad.wordpress.com/)

I have created a new blog page which will have new posts.  You may pls visit my new blog for updates ! URL : https://immahaprasad.wordp...