Sunday, August 3, 2014

अपनी मीटी छोड कर बाहर रहना हैं हमे...

अपनी मीटी छोड कर बाहर रहना हैं हमे...
घर की याद नहीं... पैसे केलिये काम करना हैं हमे
इतना तो कभी सोचा होता... की कोई वहाँ इंतज़ार मैं हैं
घूम आना सारी दूनिया...
मगर याद रखना मरना तो अपनी मीटी मैं है...

महप्रसाद मिश्रा

2 comments:

  1. Apni miti main mil jana insan ki kismat hoti hai..jo sabhi ko nasib nahi hota...gud work dear.

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  2. Sahi Hai Bhaijaan ...

    Apna Nashib to usne likha hai...
    Jo hona hai wohi hoga...
    Fikr ki koi baat hi nahin...
    Idhar ho ya udhar, Milna to miti main hi hoga ...

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