नाहीं जान हे नाहीं पहचान
फिर क्यों खोया हे मन मेरा
तेरे खयालो में
बेचारा दिल मेरा इस से हे
अनजान
लगता हे लूट लिया मेरे
दिलको
तू हे इक मासूम परी नादान I
महाप्रसाद मिश्रा
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Yaar gazab ki shayari likhte ho
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